Hindi Kahani Bhutaha Haveli: भूतहा हवेली का असली घटना
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Bhutaha Haveli Ki Asli Ghatnayen Hindi Story |
Hindi Kahani Blue Lady Ka Bhutaha Haveliहिंदी कहानी ब्लू लेडी का भूतहा हवेली
भूतहा हवेली के रूप में मशहूर यह इमारत आस्ट्रेलिया की प्राचीनतम् इमारतों में से एक है। भूतों को यहां तहखाने में बना शराबखाना ही ज्यादा पसंद आता है। यहां के भूत शरीफ किस्म के हैं और उन्होंने अभी तक किसी को कोई विशेष हानि नहीं पहुंचायी है। मगर यहां काम करने वाले कुछ कर्मचारियों पर उनका ऐसा मनोवैज्ञानिक भय है कि वे सूरज ढलने से पहले ही घर भाग जाने की कोशिश करते हैं। भूतों को देख और महसूस कर चुके लोगों का कहना है कि यहां एक से अधिक भूत हैं।
इनमें से कुछ की तो पहचान भी कर ली गई है कि वो किसके भूत हैं।
सेंट्रल सिडनी से करीब एक घंटे के सफर पर स्थित पारामाता में यह हवेली वास्तव में कभी वहां का गवर्नर हाउस हुआ करती थी। इसका निर्माण हंटर और मैक्कारी नाम के गवर्नरों में 1799 से 1816 के दौरान करवाया था। प्रेत-प्रसंगों के के कारण इस हवेली का महत्त्व इस कदर बढ़ गया है कि इसके मूल स्वरूप को अभी तक बड़े रखरखाव के साथ बरकरार रखा गया है।
इसकी रंगाई-पुताई पर प्रतिवर्ष सरकार की तरफ से काफी पैसा खर्च किया जाता है। यहां तक कि इसके पुराने फर्नीचर को भी नहीं बदला गया है। इस फर्नीचर का इस्तेमाल तो आस्ट्रेलिया के अनेक एतिहासिक नाटकों में भी किया जा चुका है।
यहां जनता के लिए प्रेत-दर्शन का सिलसिला पिछले एक दशक से ही आरम्भ किया गया है । ये प्रेत-दर्शन प्रत्येक शुक्रवार की रात को कराया जाता है। इस रोज यहां आने वाले दर्शकों के लिए बाकायदा प्रशिक्षित गाइडों की व्यवस्था है और इसके लिए उनसे अच्छी-खासी फीस भी वसूली जाती है, मगर कुछ पैसा खर्च करके यदि कुछ देर के लिए किसी को प्रेत-सानिध्य प्राप्त हो जाता है तो कोई घाटे का सौदा नहीं लगता।
क्योंकि यहां आने वाले दर्शक-पर्यटकों में से अनेक ने भूतों की उपस्थिति और उसका रोमांच महसूस किया है। विशेष बात है कि प्रेत-दर्शन के इस कार्यक्रम के दौरान पूरी इमारत में मोमबत्तियों के प्रकाश से काम चलाया जाता है।
प्रेत-दर्शन के इस बहुचर्चित कार्यक्रम का आरम्भ बेसमेंट में बने अंधियारे शराबखाने में एक स्लाइड-शो के साथ होती है । इस शो में इमारत के बारे में दिलचस्प जानकारी के साथ-साथ उस पूरे परिसर का परिचय दिया जाता है। इसके पश्चात् गाइड मोमबत्ती लेकर सभी मेहमानों को उस इमारत की परिक्रमा करवाता है।
पारामाता पार्क से होते हुए गाइड मेहमानों को चर्चित स्तंभ-चिह्न और वृक्ष तक ले जाता है। कहते हैं इस जगह पर इमारत में रहने वालों में से एक सदस्य की मौत हुई थी। यहां आ चुके दर्शकों ने खासी बेचैनी महसूस करने जैसी बात स्वीकार की है।
ये स्थान आगे वाले गेट की सीमा में, लेकिन अन्तिम छोर पर है। यहां पर प्रेत-छाया, विचित्र ढंग का सफेद कुहासा, चीखें तथा ऐसी ही कई अजीबोगरीब घटनाएं होने की सूचनाएं मिलती रहती हैं। इमारत सचमुच प्रेत-ग्रस्त है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए कई बार प्रेतों को पहचानने में माहिर विशेषज्ञों को वहां बुलवाया गया।
एक बार तो चार विशेषज्ञ एक साथ बुलवाए गए। आश्चर्य की बात यह रही कि वे चारों ही महारथी इमारत का चक्कर लगा लेने के पश्चात् काफी बेचैन दिखे और जल्दी-से-जल्दी वहां से चले जाना चाह रहे थे। उनकी बेचैनी और इस जल्दी का कारण पूछने पर उनका कहना था कि यहां की प्रेतात्माएं 'मित्रवत' नहीं हैं। हालांकि प्रेतों से अब तक हुई सभी भेटों में कोई खास हानि या दुर्घटना की खबर सुनने में नहीं आई है।
प्रेत-दर्शन के प्रारंभिक गवाहों में इस इमारत का एक कर्मचारी भी था। एक बार वह एक कमरे को साफ़ करने में लगा था। उस वक्त कमरे में रोशनी कम थी, मगर पूरी तरह अंधेरा नहीं था। तभी उसे खिड़की से झांकता हुआ एक चेहरा दिखाई दिया। ध्यान से देखा तो ज्ञात हुआ कि उस चेहरे का तो धड़ ही नहीं था। फिर उसने उसके बगल वाली खिड़की में देखा तो वहां भी वही चेहरा झांकता दिखाई दिया।
वैसे इमारत में प्रेत गतिविधियों का मुख्य केन्द्र है वहां का ‘ब्लूरूम' । वह कमरा कभी यहां का विशेष शयनकक्ष हुआ करता था। इसमें नीले रंग की पुताई है। इसमें पुरानी शैली के चार प्रज्ञापकों वाला एक बेड है। सामने वाली दीवार और बगल में एक-एक खिड़की है। इसमें एक पुरानी शैली का बना वार्डरोब तथा कुछ और खूबसूरत वस्तुएं भी रखी हैं। इस प्रकार के शयनकक्षों से जुड़े भटकती आत्माओं के किस्सों की तरह, इससे भी कुछ ऐसे किस्से जुड़े हैं। इन किस्सों की नायिका एक 'ब्लू लेडी' है, जो अक्सर इस शयन-कक्ष और उसके आस-पास मंडराती हुई देखी गई है।
कौन थी ये 'ब्लू लेडी' ? आखिर इसका रहस्य क्या है?
दरअसल 'ब्लू लेडी' वो युवा सुंदरी है, जिसकी तस्वीर ‘ब्लू रूम' के पास की दीवार पर टंगी है। इस सुंदरी का नाम मेरी ब्लिग बताया जाता है। तस्वीर में मेरी अपने प्रिय कुत्ते को गोद में लिए हुए है। यहां के कर्मचारियों ने उसकी प्रेत-छाया को उसी मुद्रा में इस कमरे में और इसके आसपास घूमते देखा है।
इस शयन-कक्ष का मुआयना कर चुके प्रेत-विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें यहां बहुत ही हिंसक दृश्य देखने को मिले खासतौर पर वार्डरोब के पास वाले कोने में । कर्मचारियों का कहना है कि ये वार्डरोब अक्सर खुद-ब-खुद खुल जाता है और कई बार तो कमरे में घुसने पर उन्हें खुला हुआ भी मिला है।
यहां के मुख्य द्वार को लेकर भी कई चमत्कार होते रहते हैं। जैसे रात को ताला लगा देने के पश्चात् भी अंदर रखा गुलदस्ता कभी गिरा हुआ होता है, तो कभी द्वार अपने आप खुल जाता है। ब्लू रूम के अलावा कुछ अन्य कक्ष और स्थान भी प्रेतात्माओं की मौजूदगी का अहसास कराते हैं।
एक कर्मचारी ने तो यहां की डायनिंग टेबल पर एक प्रेतात्मा से साक्षात करने की बातें भी कीं। पर वो कर्मचारी उस बातचीत का खुलासा करने के लिए अधिक दिन जिंदा नहीं रह सका। एक बार तो एक गाइड जब दर्शकों को उस कमरे के बारे में बता रहा था, तो एक प्रेतात्मा अचानक वहां प्रकट हुई और उनके चारों तरफ घूमकर द्वार से बाहर निकल गई।
इन प्रेत-कथाओं के अलावा इस इमारत से कई दिलचस्प किस्से और भी जुड़े हुए हैं। आस्ट्रेलिया में उड़न तश्तरी पहली बार इसी इमारत से देखी गई थी। यही नहीं, वो उड़न तश्तरी निकट ही एक मैदान में खड़े एक व्यक्ति का अपहरण' तक करके ले गई थी। इसके पश्चात् क्या हुआ, उसे कुछ नहीं पता, क्योंकि उस पर गहरी तंद्रा छा गई थी। जब तंद्रा भंग हुई तो उसने स्वयं को वापस उसी जगह पड़ा पाया।
लोगों का कहना है कि इन प्रेतात्माओं से मिलने, उन्हें देखने के लिए किसी दिव्य-दृष्टि या विलक्षण शक्ति से संपन्न होना आवश्यक नहीं है। आवश्यक है तो एक मजबूत दिल और जिज्ञासु तथा सजग दिमाग की। पर यह भी आवश्यक नहीं कि कोई वहां जाए तो प्रेत-दर्शन की उसकी इच्छा उसी दिन पूरी हो ही जाए। उसे दूसरे, तीसरे या चौथे दिन प्रेत-दर्शन के लिए तैयार रहना चाहिए।...आखिर प्रेत भी तो अपनी मर्जी के मालिक होते हैं।
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