Clive House Ki Bhatakti Aatma: मेमसाहब का भूत
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Clive House Mein Angrej Stree Ka Bhoot |
Clive House Ki Bhatakti Aatma: Memsahab Ka Bhootक्लाइव हाउस की भटकती आत्मा: मेमसाहब का भूत
पश्चिम बंगाल के दमदम, कोलकाता में है क्लाइव हाउस । क्लाइव हाउस का नामकरण हुआ प्रसिद्ध अंग्रेज अफसर लॉर्ड क्लाइव पर । वही लार्ड क्लाइव, जिन्होंने बिटिश को प्लासी की जंग में विजय दिलाई थी। लॉर्ड क्लाइव इसी क्लाइव हाउस में ठाठ-बाट से रहते थे। उन दिनों हाउस में विशेष चहल-पहल रहती-गीत-संगीत के जश्न, नाच-गाना और शराब के दौर। ऐसी ही एक पार्टी के पश्चात् दुखद घटना हुई और आज तक मेमसाहब का भूत क्लाइव हाउस में मौजूद है।
अंग्रेज औरत के भूत की पुष्टि 90 वर्षीया वृद्ध महिला भागी बी ने की। सन् 1975 में, भागी बी ने पत्रकार परिमल सरकार को बताया- 'बेटा, क्या तुमने अंग्रेजनी का भूत देखा है? उसका भूत आज भी अपने बच्चों की खोज में भटक रहा है।'
भागी बी मूलतः बिहार की रहने वाली हैं, परंतु वह बचपन में ही अपने माता-पिता के साथ कोलकाता आ बसीं। भागी बी बताती थीं-'मेरी आयु नौ साल होगी। मैं अपने मां-बाप के दूध के काम में हाथ बंटाती थी। लोग क्लाइव हाउस के निकट भी नहीं जाते थे क्योंकि हिन्दुस्तानियों का वहां जाना सख्त मना था। रात के समय साहब और मेमसाहब घोड़ा-बग्घियों में क्लाइव हाउस जाते दिखाई देते थे। किसी भव्य जश्न में शामिल होने...।
अक्टूबर 1975 की पूर्णिमा की रात थी। मैं सेनगुप्ताजी के घर उनकी मेहमान के तौर पर रह रही थी। मेरे कमरे की खिड़की से क्लाइव हाउस स्पष्ट दिखाई देता था। चांद पूरा होने की वजह से सबकुछ साफ-साफ दिखाई दे रहा था। ठंडी हवाएं हौले-हौले चल रहीं थीं...।'
भागी बी एक सांस में कहती गईं-'शांत और सन्नाटे-भरी रात में, क्लाइव हाउस भयानक लग रहा था। बीच-बीच में चिड़ियों का कलरव सन्नाटा भंग करता रहता था। मैं खिड़की पर खड़ी वहीं देखती रही। मैंने अचानक देखा-एक काली छाया क्लाइव हाउस से बाहर निकली। वह बंगले के सामने बने तालाब या कोई झील की तरफ जा रही थी। मैंने आंखों पर जोर दिया और कोशिश की जानने की, कि वह कौन है? वह नौजवान स्त्री की छाया थी! कुछ कदम चलने के पश्चात्, छाया नीचे बैठी और धरती पर देखने लगी। शायद कुछ तलाश रही थी। फिर कंकड़-पत्थर उठाए और झील की तरफ बढ़ गई।
मैं एकटक छाया को घूरती रही। मैंने पहचान लिया-वह मेमसाहब थी यूरोपीय पोशाक में। वह कुछ खोजती-खोजती झील की तरफ जा रही थी। वह लौट आयी और फिर तालाब की ओर जाने लगती। ऐसा बार-बार होता रहा, लगभग आधे घंटे तक और फिर छाया अदृश्य हो गई।'
भागी बी आगे बोली- 'मैं सारी रात सो नहीं पाई। अगली सुबह, रात का वाकया सेनगुप्ता साहब को सुनाया। वह हंसे और बोले कि मैंने और मेरे परिवार ने भी आधी रात को ऐसा कई बार देखा है। आस-पड़ोस से पूछताछ के बावजूद कुछ खास या ठोस बात सामने नहीं आ पाई।'
भागी बी की बढ़ती जिज्ञासाओं के मद्देनजर सेनगुप्ता उसे एक वृद्धा से मिलाने ले गए। वृद्धा की आयु 70 वर्ष के आसपास होगी। वह ग्वालों की बस्ती ग्वाल पारा में रहती थी। उस समय वह मोटे शीशे का चश्मा पहने थी। वाकया सुनकर वह जरा-भर भी नहीं चौंकी। सहज भाव से बोली-'अच्छा, तो तुमने मेमसाहब का भूत देखा है।'
बुढ़िया ने भागी बी ने बताया कि एक रात क्लाइव हाउस से लौटते समय एक अंग्रेज परिवार की मौत हो गई थी। अंग्रेज साहब, मेमसाहब और उनके दो बच्चों के शव घोड़ा-बग्घी सहित झील में तैरते पाए गए।
क्लाइव हाउस के बावर्ची का कहना है कि वह अंग्रेज परिवार बंगले में कॉकटेल पार्टी में शामिल होने गया था। पार्टी आधी रात तक चली थी। दुखद घटना रात उस समय हुई, जब परिवार घोड़ा-बग्घी में वापस अपने घर जा रहा था। साहब स्वयं ही कोचवान बनकर, तेज रफ्तार में बग्घी दौड़ा रहे थे। ऊपर से वह शराब के नशे में धुत्त थे ।
साहब आगे के अंधे मोड़ को नहीं देख पाए और बग्घी समेत झील में जा गिरे। तब से आज तक अनेकों लोगों ने मेमसाहब के भूत को झील के आसपास देखा है। वह वहां अपने खोए बच्चों को ही तलाशती दिखाई देती है।
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..... Clive House Ki Bhatakti Aatma: Memsahab Ka Bhoot [ Ends Here ] .....
Team Hindi Horror Stories
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