Bhooton Ki Darawni Kahaniya: Were they freedom fighters
Bhooton Ki Darawni Kahaniya का अंश: मुझे अच्छे से आज भी याद है कि यह जुलाई का महिना का 10वाँ तारीख था और बाहर भारी बारिश हो रही थी और उस समय घर में मेरे और दादी के अलावा कोई नही था।...
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Bhooton Ki Darawni Kahaniya 2019 |
Bhooton Ki Darawni Kahaniya: Were they freedom fighters
मेरा माता-पिता का घर मुंबई के एक बहुत ही परिष्कृत इलाके में स्थित है। इसका निर्माण मेरे परदादा द्वारा 1936 में किया गया था, अर्थात भारतीय स्वतंत्रता से पहले।
मेरे परदादा एक वकील थे और ब्रिटिश शासनकाल में कार्यरत थे, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में गुप्त रूप से शामिल थे।
स्वतंत्रता सेनानियों की कई महत्वपूर्ण बैठकें हमारे घर पर गुप्त रूप से होती थीं।
असली कहानी अब शुरू होती है...
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मुझे अच्छे से आज भी याद है कि यह जुलाई का महिना का 10वाँ तारीख था और बाहर भारी बारिश हो रही थी और उस समय घर में मेरे और दादी के अलावा कोई नही था। और हम दोनों ही सो रहे थे।
उस समय मुझे कुछ आवाज़ों ने परेशान किया, मैं अपने घर में किसी और को बात करते हुए सुन सकता था और कुछ देर के बाद मैं एक से अधिक लोगों को सुन सकता था।
मैं आधी रात में इतने सारे लोगों की आवाज सुन कर अंदर से हिल गया और यह सोच कर की कुछ डकैत घर में घुस आये है, इस आशंका से अपने बिस्तर से बाहर निकल गया।
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मेरी दादी भी जाग गई। हम दोनों डर गए लेकिन हिम्मत जुटाकर दूसरे कमरे में चले गए जहाँ से शोर आ रहा था और दरवाजे से झांक से के देखा।हमने फिर जो देखा वो और भी डरवाना था, हम उस रूम में 4 लोगों को देख सकते थे जो की लगभग 20 साल के होंगे, वे 1930/1940 में इस्तेमाल में आने वाले भारतीय पोशाक (कपड़े) पहन रखे थे, और जैसे ही उन्होंने हमें देखा वे गायब हो गए।
यह देख कर मेरी दादी लकवाग्रस्त हो गयी और मैं बेहोश हो गया।
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जब मुझे होश आया, मैं हॉस्पिटल में था, और मेरी दादी माँ ICU में थीं।वह कुछ साल पहले चल बसी, लेकिन हमने कुछ ऐसी चीजें देखीं जिसे समझाना बहुत ही कठिन था।
आज भी जब में यह कहानी आप से शेयर कर रहा बस उस घटना को सोच कर मुझमे एक डर की लहर दौड़ उठी।
उस घटना के बाद हमने फिर उस घर में ऐसा कभी कुछ नहीं देखा।
..... Bhooton Ki Darawni Kahaniya Ends Here .....
Team Hindi Horror Stories:
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